सर्दियों में लाभकारी है गुड़ का सेवन
आयुर्वेद में गुड़ को वात, पित्त, व कफ को नाश करने वाला बताया गया है। पश्चिमी लोग गुड को आज भी फायदेमंद मानते हैं। हां, चीनी की मिठास के आगे गुड़ का सेवन कुछ कम जरूर हो गया है लेकिन इसके महत्वपूर्ण गुणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। गुड़ जैसे-जसे पुराना होता जाता है, वह अधिक उपयोगी होता जाता है। पुराना गुड़ हल्का, पथ्य, अग्निवर्धक, चिकनाई का अवरोधक, पित्तनाशक, वायुनाशक और रक्त को साफ करने वाला है। विभिन्न तरीकों से गुड़ का सेवन करने से भिन्न-भिन्न बीमारियां ठीक होती हैं जैसे अदरक के साथ गुड़ का सेवन करने से कफ दूर होता है। हरड़ के साथ गुड़ का सेवन पित्त मिटाता है। सौंठ के साथ गुड़ का सेवन सभी प्रकार के वात रोगों में लाभदायक है। रक्त विकार वाले व्यक्ति को चीनी के स्थान पर गुड़ का सेवन करना चाहिए। चाय, दूध, लस्सी आदि किसी भी पेय में चीनी न डालकर गुड़ डालना लाभदायक होता है। खाने के बाद 25 ग्राम गुड़ नित्य खाने से उदर वायु, उदर विकार ठीक होते हैं। शरीरिक श्रम करने वाले मजदूर गुड़ खाकर अपने शरीर की टूट-फूट को ठीक कर लेते हैं, थकावट मिटा लेते हैं। हृदय की दुर्बलता में गुड़ खाने से लाभ होता है। सर्दियों में गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से जुकाम, खांसी, दमा, ब्रांकाइटिस आदि रोग दूर होत हैं। डॉक्टर स्वस्थ शिशु के लिए गर्भवती महिलाओं को गुड़ खाने की सलाह देते हैं। खाना खाने के बाद एक छोटी डली गुड़ खा लेने से पाचनशक्ति में वृद्धि होती है। बच्चों के लिए गुड़ औषधि के रूप में कार्य करता है। चूंकि गुड़ में आयरन पाया जाता है, अतः सर्दियों में बच्चों को गुड़ से बने पकवान अवश्य खिलाएं। इतना ही नहीं, कब्ज दूर करने में भी गुड़ का सेवन लाभदायक है। दमा के रोगी को गुड़ व सरसों को मिलाकर सेवन करना लाभकारी है। बच्चों के पेट में यदि कीड़े हों तो गुड़ को पलाश के बीज के साथ मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। इसके लिए सदैव पुराने गुड़ का प्रयोग करें।